Wednesday, 7 March 2018

ज़ख्मों पर मरहम


एक बुजुर्ग व्यक्ति था; जो बेहद कमजोर और बीमार था । और अकेले ही रहता था। उसके कंधों में दर्द रहता था लेकिन वह इतना कमजोर था कि खुद अपने हाथों से दवा लगाने में भी असमर्थ था। कंधों पर दवा लगवाने के लिए कभी किसी से मिन्नतें करता तो कभी किसी से। 
एक दिन बुजुर्ग व्यक्ति ने पास से गुजरने वाले एक युवक से कहा कि बेटा जरा मेरे कंधों पर ये दवा मल दो। भगवान तेरा भला करेगा।
युवक ने कहा कि बाबा मेरे हाथों की उंगलियों में तो खुद दर्द रहता है। मैं तेरे कंधों की मालिश कैसे करूं ?
बुजुर्ग ने कहा कि बेटा दवा मलने की जरूरत नहीं। बस इस डिबीया में से थोड़ी सी मरहम अपनी अंगुलियों से निकालकर मेरे कंधों पर फैला दो। युवक ने बिना मन से डिबिया में से थोड़ी सी मरहम लेकर अंगुलियों से बुजुर्ग व्यक्ति के दोनों कंधों पर लगा दी। दवा लगते ही बुजुर्ग की बेचैनी कम होने लगीं और वो इसके लिए उस युवक को आशीर्वाद देने लगा। बेटा , भगवान तेरी अंगुलियों को भी जल्दी ठीक कर दे। बुजुर्ग के आशीर्वाद पर युवक अविश्वास से हंस दिया लेकिन साथ ही उसने महसूस किया कि उसकी अंगुलियों का दर्द भी गायब सा होता जा रहा है।
वास्तव में बुजुर्ग को मरहम लगाने के दौरान युवक की अंगुलियों पर भी कुछ मरहम लग गई थी। यह उस मरहम का ही कमाल था जिससे युवक की अंगुलियों का दर्द गायब सा होता जा रहा था। अब तो युवक सुबह, दोपहर और शाम तीनों वक्त बुजुर्ग व्यक्ति के कंधों पर मरहम लगाता और उसकी सेवा करता। कुछ ही दिनों में बुजुर्ग पूरी तरह से ठीक हो गया और साथ ही उस युवक के हाथों की दोनों अंगुलिया भी दर्दमुक्त होकर ठीक से काम करने लगीं।
तभी तो कहा गया है कि जो दूसरों के ज़ख्मों पर मरहम लगाता है उसके खुद के ज़ख्मों को भरने में देर नहीं लगती। दूसरों की मदद करके हम अपने लिए रोग - मुक्ति, अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु ही सुनिश्चित करते हैं।

No comments:

Post a Comment

राजस्थान जीतने की जुगत में भाजपा और कांग्रेस, जानें क्या कहते हैं लोग

जिस तरह से मौसम बदलता रहता है,ठीक वैसे ही सियासी राजनीतिक समीकरण कब कौन सा रूप धारण कर ले कह पाना मुश्किल है।राजस्थान में अजमेर,अलवर संसद...